स्वामी दयानन्द सरस्वती और सत्यार्थ प्रकाश

सत्यार्थ प्रकाश की रचना आर्य समाज के संस्थापक महार्षि दयानंद सरस्वती ने की। यद्यपि उनकी मातृभाषा गुजराती थी और संस्कृत का इतना ज्ञान था कि संस्कृत में धाराप्रवाह बोल लेते थे, तथापि इस ग्रन्थ को उन्होने हिन्दी में रचा। कहते हैं कि जब स्वामी जी १९७२ में कलकत्ता में केशवचन्द्र सेन से मिले तो उन्होने स्वामी जी को यह सलाह दे डाली कि आप संस्कृत छोडकर हिन्दी बोलना आरम्भ कर दें तो भारत का असीम कल्याण हो। तभी से स्वामी जी के व्याख्यानों की भाषा हिन्दी हो गयी और शायद इसी कारण स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश की भाषा भी हिन्दी ही रखी।
स्वामी जी पूरे देश में घूम-घूमकर शास्त्रार्थ एवं व्याख्यान कर रहे थे। इससे उनके अनुयायियों ने अनुरोध किया कि यदि इन शास्त्रार्थों एवं व्याख्यानों को लिपिबद्ध कर दिया जाय तो ये अमर हो जाय। सत्यार्थ प्रकाश की रचना उनके अनुयायियों के इस अनुरोध के कारण ही सम्भव हुई। सत्यार्थ प्रकाश की रचना का प्रमुख उद्देश्य आर्य समाज के सिद्धान्तों का प्रचार-प्रसार था। इसके साथ-साथ इसमें इसाई, इस्लाम एवं अन्य कई पंथों/मतों का खण्डन भी है। उस समय हिन्दू शास्त्रों का गलत अर्थ निकाल कर हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को बदनाम करने का षडयंत्र भी चल रहा था। इसी को ध्यान में रखकर महर्षि दयानन्द ने इसका नाम सत्यार्थ प्रकाश (सत्य + अर्थ प्रकाश = सही अर्थ को सामने लाना) रखा।
 

महर्षि दयानन्द सरस्वती के वचन

वेदों की और लौटो । वेदों की मानो । सम्प्र्दाय को छोड़ो । धर्म को समझो और उसका पालन करो ।

 

वेदों की ओर लौटो

वेदों की और लौटो । वेदों की मानो । सम्प्र्दाय को छोड़ो । धर्म को समझो और उसका पालन करो ।
 

दयानंद के लिए प्रमुख लोगों के कुछ उद्‍गार

* लोकमान्य तिलक- स्वराज्य के प्रथम संदेशवाहक स्वामी दयानंद।
* सुभाषचंद्र बोस - आधुनिक भारत का निर्माता दयानंद।
* डॉ. भगवानदास- स्वामी दयानन्द हिन्दू पुनर्जागरण के मुख्य निर्माता।
* एनी बेसेन्ट- दयानन्द पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत भारतीयों के लिए की घोषणा की।
* सरदार पटेल- भारत की स्वतंत्रता की नींव स्वामी दयानन्द ने डाली।

by-राजश्री कासलीवाल
 

स्वामी दयानंद सरस्वती के उल्लेखनीय कार्य

* आर्य समाज के संस्थापक तथा समाज-सुधारक।
* स्वामी जी ने धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को पुन: हिंदू बनने की प्रेरणा देकर शुद्धि आंदोलन चलाया।
* स्वामी दयानंद ने हिंदी भाषा में सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक तथा अनेक वेदभाष्यों की रचना की।
* सन् 1886 में लाहौर में स्वामी दयानंद के अनुयायी लाला हंसराज ने दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज की स्थापना की थी।
* सन् 1901 में स्वामी श्रद्धानंद ने कांगड़ी में गुरुकुल विद्यालय की स्थापना की।
 

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (जन्म- 12 फरवरी, 1824 - गुजरात, भारत; मृत्यु- 31 अक्टूबर, 1883 अजमेर, राजस्थान) आर्य समाज के प्रवर्तक और प्रखर सुधारवादी सन्यासी थे। जिस समय केशवचन्द्र सेन ब्रह्मसमाज के प्रचार में संलग्न थे लगभग उसी समय दण्डी स्वामी विरजानन्द की मथुरा पुरी स्थित कुटी से प्रचण्ड अग्निशिखा के समान तपोबल से प्रज्वलित, वेदविद्यानिधान एक सन्यासी निकला, जिसने पहले-पहल संस्कृतज्ञ विद्वात्संसार को वेदार्थ और शास्त्रार्थ के लिए ललकारा। यह सन्यासी स्वामी दयानन्द सरस्वती थे।